चिन्ता मुक्त कैसे हों
यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति को किसी ऐसी बात का चिंतन हो जाता जिससे मुक्त होने अथवा उसे पूरा करने का कोइ उपाय उस व्यक्ति के पास नहीं होता है | प्राणी जिसमे जो सोचता है उसके आगे निरंतर नकारात्मक ही सोचता है और अपने इस विचार को वह किसी मित्र अथवा परिवार के किसी सदस्य से इस बारे में कोइ बात नहीं करता है जिससे प्राणी अनिद्रा ,भुखमरी,बेचैनी आदि का शिकार हो जाता है फलस्वरूप प्राणी हाई ब्लड प्रेशर , सुगर (मधुमेह), रक्ताल्पता , कोलेस्ट्राल, गैस्टिक,आदि अनेक ब्याधियों के गिरफ्त में आ जाता है जिसके कारण एक सुन्दर स्वस्थ व्यक्ति धीरे-धीरे कुरूपता को प्राप्त हो जाता है |
हमें पूर्ण विश्वास है कि जब आप अपने नकारात्त्मक विचार को किसी व्यक्ति के साथ साझा करतें हैं तो उसका निदान निकल आता है| अतः सुखमय जीवन की चाह रखनें वालों को हमेशा खुशमय रहना होगा|
नकारात्त्मक विचारों के प्रवाह को रोकने का एक उपाय और है जो सामान्य जन के बस की बात नहीं है फिर भी एक प्रयास करना चाहिए कि जब कभी नकारात्त्मक विचार का प्रवाह मन में उत्पन्न होने लगे जो जहाँ तक आप सोच चुके हों उसी स्थान से सोचने की प्रक्रिया को वापस करदें और यह विचारना प्रारम्भ करें कि यह नकारात्त्मक विचार हमारे मन में कहाँ से एवं क्यों प्रारम्भ हुआ | लेकिन ध्यान रहे नकारात्त्मक विचारों की श्रंखला जिस प्रकार आगे बढ़ी है उसी श्रंखला में उसके प्रारम्भ की ओर सोचना चाहिए | हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आपके नकारात्त्मक विचारों का प्रवाह तुरंत रुक जायेगा |
जीवन के इन सुन्दर क्षणों में खूब आन्नद लें स्वयं खुश रहने के साथ-साथ दूसरों को भी खुश रखने का प्रयास करना चाहिए , स्वयं को सामाजिक ,धार्मिक ,राजनितिक एवं पारिवारिक कार्यों में व्यस्त रखते हुए खाली समय में मनोंरंजन , धार्मिक अच्छी पुस्तकों का अध्ययन, बच्चों को पढ़ाने, बच्चों को प्रेरणा प्रद कहानियों को सुनाने आदि में व्यस्त रखना चाहिए |(यह संक्षेप में जनहित के लिए)
अतः सभी व्यक्ति को चाहिए कि चिंता मुक्त जीवन का उपभोग करें और एक सुन्दर स्वस्थ शरीर का अस्तित्व बनाये रखें इसी में सभी का कल्याण है |
आपका प्यारा-
अरुण - संगती
अरुण - संगती
चिंता मुक्त होने का और क्या उपाय है?
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