शनिवार, 30 जुलाई 2011

chinta

चिन्ता मुक्त कैसे हों                 
                                                                                                      यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति को किसी ऐसी बात  का चिंतन हो जाता जिससे मुक्त  होने अथवा उसे पूरा करने का कोइ  उपाय  उस  व्यक्ति के पास नहीं होता है | प्राणी जिसमे जो सोचता  है उसके  आगे निरंतर नकारात्मक ही सोचता   है  और अपने इस विचार को वह किसी मित्र  अथवा  परिवार के किसी सदस्य  से इस बारे  में कोइ बात नहीं करता है जिससे प्राणी अनिद्रा ,भुखमरी,बेचैनी आदि का शिकार हो जाता है फलस्वरूप प्राणी हाई ब्लड प्रेशर , सुगर (मधुमेह), रक्ताल्पता , कोलेस्ट्राल,  गैस्टिक,आदि अनेक ब्याधियों के गिरफ्त में आ जाता है जिसके कारण एक  सुन्दर  स्वस्थ व्यक्ति धीरे-धीरे कुरूपता को प्राप्त हो जाता है | 
                   चिन्ता मुक्त होने के लिए  अपने विचारों के प्रवाह को रोकना होगा | मन में सकरात्मक इच्छा  शक्ति का विकास करने के साथ-साथ स्वयं  को अधिक से अधिक लोगो के बीच अथवा किसी काम में  व्यस्त रखना चाहिए | अपने मन में कोई नकारात्मक विचारो को उत्पन्न नहीं होने दें अथवा ऐसे विचारों के उत्पन्न होने पर अपने मित्रों ,पत्नी/पति, माता/पिता, भाई / बहन , सगे सम्बन्धियों से उस बारे में बात चीत  करना बहुत ही आवश्यक होता है| किसी कारण वश प्राणी आपने मन की बात किसी दुसरे प्राणी से नही कर  सकता तो ऐसे हालत में उस व्यक्ति को चाहिए कि वह देवालय अथवा  अपने धार्मिक स्थल पर जाकर आपने मन की सारी बातें  सस्वर में उन प्रभु से कहानी चाहिए | यदि व्यक्ति  ऐसा भी नहीं कर सकता तो उसे  प्रकृति  के सुन्दर गोद बाग-बगीचे इत्यादी में जाकर आपने  मन की सारी  बातें सस्वर में उन पेड़ - पौधों   से कहानी  चाहिए | कहनें तात्पर्य यह है कि कोइ भी नकारात्त्मक विचार मन में नहीं रखना चाहिए जिनसे प्राणी को दुःख सामना करना पड़ता है |
          हमें पूर्ण विश्वास है कि जब आप अपने नकारात्त्मक विचार को किसी व्यक्ति के साथ साझा करतें हैं तो उसका निदान निकल आता है| अतः सुखमय जीवन की चाह रखनें वालों को हमेशा खुशमय रहना होगा|
         नकारात्त्मक विचारों के प्रवाह को रोकने का एक उपाय और है जो सामान्य जन के बस की बात नहीं है फिर भी एक प्रयास करना चाहिए कि जब कभी नकारात्त्मक विचार का प्रवाह मन में उत्पन्न होने लगे जो जहाँ तक आप सोच चुके हों उसी स्थान से सोचने की प्रक्रिया को वापस करदें और यह विचारना प्रारम्भ करें कि यह नकारात्त्मक विचार हमारे मन में कहाँ से एवं क्यों प्रारम्भ हुआ | लेकिन ध्यान रहे  नकारात्त्मक विचारों की श्रंखला जिस प्रकार आगे बढ़ी है उसी  श्रंखला में उसके  प्रारम्भ की ओर सोचना चाहिए | हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आपके नकारात्त्मक विचारों का  प्रवाह तुरंत रुक जायेगा |
         जीवन के इन सुन्दर क्षणों में खूब आन्नद लें स्वयं खुश रहने के साथ-साथ दूसरों को भी खुश रखने का प्रयास करना चाहिए , स्वयं को सामाजिक ,धार्मिक ,राजनितिक एवं पारिवारिक कार्यों में व्यस्त रखते हुए खाली समय में मनोंरंजन , धार्मिक अच्छी पुस्तकों का अध्ययन, बच्चों को पढ़ाने,  बच्चों को प्रेरणा प्रद कहानियों को सुनाने आदि में व्यस्त रखना चाहिए |(यह संक्षेप में जनहित के लिए)
                       अतः सभी व्यक्ति को चाहिए कि चिंता मुक्त जीवन का उपभोग करें और एक  सुन्दर  स्वस्थ  शरीर का अस्तित्व बनाये रखें इसी में सभी का कल्याण है |



                                                                                                     आपका प्यारा-
                                                                                                      अरुण - संगती  


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