मानव वही जिनमे मानवता हो,
प्रेम वही कर सकता है जिनमे भावना की प्रधानता होती है,
आप तो प्रेम के सागर है, भावना तो आप की रगों में बह रही
है, अत: अपने सभी परिवार के जनों को भाव बिह्वल कर दीजिए
आज की यही हमारी आप से आपेक्षा है,
आगे फिर आपसे मिलेगे ....
आपका - अरुण - संगती
thank you
जवाब देंहटाएंkuchh aaur bhi likhen.
जवाब देंहटाएंhttp://hi.mustdownloads.com/software/adobe_reader_9_0.php
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